मैं ख़ुश हूँ कि मुझे सब कुछ आसानी से प्राप्त हो गया और हो रहा है।
सबका शुक्रिया।
माँ का भी जिसने कभी कुछ करने को नहीं कहा, न पढ़ने को, न खेलने को, न काम करने को। मैं जैसा था, वैसा ही ठीक था, उनके लिए। पिता भी ऐसे ही थे।
और ननिहाल में बहुत प्यार मिला। दासाहब अवश्य ग़ुस्से वाले थे। लेकिन, परिवार का ढाँचा कुछ ऐसा था, कि उनसे कभी आमना-सामना नहीं हुआ।