Friday, August 19, 2016

Thank you again


मैं ख़ुश हूँ कि मुझे सब कुछ आसानी से प्राप्त हो गया और हो रहा है। 

सबका शुक्रिया। 

माँ का भी जिसने कभी कुछ करने को नहीं कहा, न पढ़ने को, न खेलने को, न काम करने को। मैं जैसा था, वैसा ही ठीक था, उनके लिए। पिता भी ऐसे ही थे। 

और ननिहाल में बहुत प्यार मिला। दासाहब अवश्य ग़ुस्से वाले थे। लेकिन, परिवार का ढाँचा कुछ ऐसा था, कि उनसे कभी आमना-सामना नहीं हुआ। 

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